Navratri 2025 Day 2 Puja Vidhi: शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा का विधान है. शक्ति के इस दिव्य स्वरूप की पूजा का क्या धार्मिक महत्व है? मां ब्रह्मचारिणी की पूजा किस विधि से करना चाहिए. माता का शुभ रंग और भोग आदि के बारे में विस्तार से जानने के लिए जरूर पढ़ें ये लेख.

Navratri Day 2 Katha (मां ब्रह्मचारिणी की कथा)
पौराणिक कथाओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने अपने पूर्व जन्म में पार्वती के रूप में जन्म लिया था। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। माता अपनी तपस्या के दौरान केवल फल-फूल खाकर जीवित रहीं और कभी-कभी पत्तों का भोजन करती थीं। उनकी तपस्या इतनी कठोर थी कि उन्हें “ब्रह्मचारिणी” नाम से जाना गया। माता पार्वती ने अपनी निष्ठा और तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और अंततः उन्हें पति रूप में प्राप्त किया।
Navratri 2025 Maa Brahmacharini ki puja vidhi:
नवरात्रि के दूसरे दिन पूजी जाने वाली मां ब्रह्मचारिणी का दिव्य आभा को लिए हुए है. देवी ब्रह्मचारिणी ने अपने एक हाथ में माला और दूसरे हाथ में एक जल का पात्र थामा हुआ है. पौराणिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की साधना-आराधना, जप-तप करके देवी के भक्त और योगीजन अपने मन को स्वाधिष्ठान चक्र में रखकर अपनी मनोकामना को पूरा करने का प्रयास करते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार माता की प्रेरणा से ही साधक की साधना सफल हो पाती है. आइए मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व जानते हैं
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कैसे करें
हिंदू मान्यता के अनुसार नवरात्रि के दूसरे दिन साधक को प्रात:काल जल्दी उठकर सबसे पहले दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद स्नान-ध्यान करना चाहिए. इसके स्वच्छ वस्त्र धारण करके सबसे पहले मां ब्रह्मचारिणी का ध्यान करते हुए उनके व्रत, जप और विधि-विधान से पूजन का संकल्प लेना चाहिए. हिंदू मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी को सफेद या गुलाबी रंग अत्यंत ही प्रिय है. ऐसे में साधक को इसी रंग के कपड़े पहनने का प्रयास करना चाहिए. इसके बाद अपने पूजा स्थान अथवा ईशान कोण में मां ब्रह्मचारिणी की प्रतिमा या फिर चित्र रखकर फल-फूल, धूप-दीप, कुमकुम, अक्षत, नारियल, बताशा, मिष्ठान आदि अर्पित करना चाहिए.
देवी ब्रह्मचारिणी को किस चीज का लगाएं भोग
नवरात्रि के दूसरे दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा में उन्हें प्रसन्न करने के लिए साधक को विशेष रूप से मीठे पकवान बनाकर भोग लगाना चाहिए. मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में दूध, मिश्री से बनी मिठाइयां या फिर पंचामृत को चढ़ाना शुभ माना जाता है.
मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र
हिंदू मान्यता के अनुसार देवी पूजा में मंत्र जप का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. ऐसे में शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः” का जप अवश्य करें. माता के मंत्र का जप करते समय अपने हाथ में पुष्प और अक्षत अवश्य रखें. मंत्र जप के बाद उसे देवी के चरणो में समर्पित कर दें. इसके बाद माता की विशेष आरती करने के बाद पूजा में हुई भूल के लिए क्षमा और पूरे परिवार के लिए आशीर्वाद मांगे.
ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम्।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालङ्कार भूषिताम्॥
परम वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥