Bihar Chunav 2025: तेजस्वी यादव ने बुलाई महागठबंधन की अहम बैठक, सीट शेयरिंग पर हो सकता है बड़ा फैसला

Bihar Chunav 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी पारा चरम पर है. एनडीए जहां सीटों के गणित में उलझा हुआ है, वहीं महागठबंधन आज निर्णायक बैठक में अपने ‘खेल का प्लान’ फाइनल करने जा रहा है. तेजस्वी यादव के घर पर होने वाली इस बैठक में किसको कितनी सीटें मिलेगी, किस चेहरे पर दांव लगेगा और किस रणनीति से एनडीए को चुनौती दी जाएगी—इसका ब्लूप्रिंट बनने जा रहा है.

Bihar Chunav 2025: पटना की सियासत रविवार शाम एक पोलो रोड पर केंद्रित है. महागठबंधन के सभी घटक दलों के शीर्ष नेता तेजस्वी यादव के आवास पर जुट रहे हैं. इस बैठक को सिर्फ सीट बंटवारे की औपचारिकता नहीं, बल्कि चुनावी लड़ाई का ‘वार रूम’ माना जा रहा है. राजद, कांग्रेस, वाम दल और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के नेता यहां एक ही एजेंडे पर फोकस करेंगे—आगामी विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा, प्रत्याशियों की रणनीति और संयुक्त प्रचार की रूपरेखा.

तेजस्वी के घर में जुटे दिग्गज

बैठक में सबसे पहले पहुंचे पूर्व मंत्री और VIP प्रमुख मुकेश सहनी ने संकेत साफ कर दिए—“सब कुछ डिसाइडेड है, आज फाइनल करेंगे.” उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में यह तय किया जाएगा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस कब की जाए. सहनी ने जेडीयू की एक चरण में चुनाव कराने की मांग पर तंज कसते हुए कहा—“नीतीश जी को तो भाषण देना नहीं है. वो बोलेंगे कुछ और बुला लिया जाएगा कुछ, इसलिए जेडीयू ऐसा चाहती है.” उनके बयान ने माहौल में हल्की तल्खी भी घोल दी.

तेजस्वी यादव की इस बैठक में कांग्रेस नेता राजेश राम सहित सभी प्रमुख सहयोगी शामिल हो रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, बैठक का मकसद केवल सीटों का बंटवारा तय करना ही नहीं, बल्कि एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरने की साझा रणनीति पर सहमति बनाना भी है.

सीटों के गणित में फंसा पेच,सहमति की दिशा में बढ़े कदम

महागठबंधन में सीटों को लेकर सहमति बनने में वक्त लग रहा है, क्योंकि हर दल अपने पुराने प्रदर्शन और परंपरागत प्रभाव वाले इलाकों में दावा ठोक रहा है. कांग्रेस उन सीटों पर पकड़ बनाए रखना चाहती है जहां उसके विधायक पहले से मौजूद हैं. वाम दल चाहते हैं कि उनकी मौजूदा प्रभाव वाली सीटों पर समझौता न किया जाए. राजद स्वाभाविक रूप से सबसे बड़ा हिस्सा चाहती है क्योंकि पिछली बार भी वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी.

सभी घटक दलों ने अपनी-अपनी सीटों की संख्या लगभग तय कर ली है. राजद ने करीब 40% यानी लगभग 50 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को फील्ड में उतरने का संकेत दे दिया है. बिना नाम सार्वजनिक किए उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार शुरू करने की हरी झंडी मिल चुकी है. कांग्रेस ने भी अपने मौजूदा विधायकों को तैयार रहने का निर्देश दिया है और सिर्फ एक-दो सीटों पर फेरबदल की संभावना जताई है. VIP ने 18 संभावित प्रत्याशियों को मैदान में उतरने की तैयारी करवा दी है, जबकि वाम दलों ने अपने मौजूदा विधायकों को चुनावी मोड में ला दिया है.

तेजस्वी का फोकस—जिताऊ चेहरों पर दांव

बैठक में सिर्फ सीटों की संख्या पर ही नहीं, बल्कि उम्मीदवारों के चेहरों पर भी गहन चर्चा होनी है. RJD, कांग्रेस, VIP और वाम दलों के शीर्ष नेता उन संभावित प्रत्याशियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर चुके हैं जिन पर दांव लग सकता है. उनकी जीत की संभावनाओं का आंकलन किया गया है ताकि गठबंधन का चेहरा सिर्फ मजबूत और जिताऊ उम्मीदवारों पर टिके. कई नए चेहरों को टिकट मिलने की पूरी संभावना जताई जा रही है.

तेजस्वी यादव इस बैठक को महज औपचारिकता नहीं मानते. सूत्र बताते हैं कि वह इस बैठक में महागठबंधन की चुनावी रणनीति का ‘रोडमैप’ तैयार करेंगे—कौन किस सीट से लड़ेगा, किस दिन संयुक्त रैलियों का शेड्यूल बनेगा और किन मुद्दों को चुनावी विमर्श में प्राथमिकता दी जाएगी.

राजद की परंपरागत सीटों पर मजबूत पकड़

महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे में राजद की परंपरागत सीटों को लेकर कोई बड़ा विवाद नहीं है. जिन 50 सीटों पर राजद के उम्मीदवारों को प्रचार की अनुमति दी गई है, वे मुख्य रूप से माई (मुसलमान-यादव) समीकरण और रविदास जाति के प्रभाव वाले इलाके हैं. इन इलाकों में 2010 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो पिछले तीन दशक से लालू प्रसाद और उनकी पार्टी का दबदबा रहा है. यही वजह है कि इन सीटों पर अन्य सहयोगी दलों की ओर से ज्यादा आपत्ति की संभावना नहीं है.

आज की बैठक में सीट शेयरिंग का ब्लूप्रिंट लगभग तय हो जाएगा. इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी औपचारिक घोषणा की जाएगी. यह भी माना जा रहा है कि सीटों की संख्या पर यदि अंतिम सहमति बन गई तो महागठबंधन एक संयुक्त प्रचार अभियान की रूपरेखा भी साझा कर सकता है. इसमें तेजस्वी यादव की अगुवाई में साझा रैलियां, मुद्दों की प्राथमिकता और एनडीए की रणनीति के जवाब में गठबंधन का एजेंडा शामिल होगा.