Leh Ladakh Violence: लेह-लद्दाख में भड़की हिंसा को लेकर गृह मंत्रालय ने बड़ा एक्शन लिया है. न्यूज एसेंसी एएनआई के अनुसार गृह मंत्रालय ने सोनम वांगचुक के संगठन को रद्द कर दिया है.

Leh Ladakh Violence: गृह मंत्रालय (MHA) ने सोनम वांगचुक के संगठन, स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का लाइसेंस रद्द कर दिया है. संगठन पर विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत कार्रवाई की गई है. इससे पहले गृह मंत्रालय ने वांगचुक पर आरोप लगाया था कि उन्होंने भड़काऊ भाषण देकर युवाओं को गुमराह किया था.
वांगचुक के भड़काऊ भाषणों से भड़की भीड़ : गृह मंत्रालय
इससे पहले मंत्रालय ने कहा था कि कई नेताओं द्वारा भूख हड़ताल समाप्त करने का आग्रह करने के बावजूद, वांगचुक ने भूख हड़ताल जारी रखी और ‘अरब स्प्रिंग’ शैली के विरोध प्रदर्शनों और नेपाल में ‘जेन जेड’ के विरोध प्रदर्शनों का भड़काऊ उल्लेख करके लोगों को गुमराह किया. बयान में कहा गया था, ‘‘24 सितंबर को सुबह लगभग 11.30 बजे उनके भड़काऊ भाषणों से भड़की भीड़ प्रदर्शन स्थल से निकली और एक राजनीतिक दल के कार्यालय के साथ-साथ लेह के सीईसी के सरकारी कार्यालय पर हमला किया. इन कार्यालयों में आग लगा दी, सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया और पुलिस वाहन को आग लगा दी.’’ ‘‘बेकाबू भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया जिसमें 30 से अधिक पुलिस/सीआरपीएफ कर्मी घायल हो गए. भीड़ ने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना और पुलिसकर्मियों पर हमला करना जारी रखा. आत्मरक्षा में, पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी जिसमें दुर्भाग्य से कुछ लोगों के हताहत होने की खबर है.’’ गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था- ‘‘यह स्पष्ट है कि सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों के माध्यम से भीड़ को उकसाया था.”
संस्थान पर सीबीआई जांच पर क्या बोले वांगचुक?
एफसीआरए उल्लंघन के लिए अपने संस्थान पर सीबीआई जांच पर, कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने कहा, “जासूसी अभियान की सीरीज में, बुधवार की घटनाएं आखिरी थीं और सारा दोष सोनम वांगचुक पर डाल दिया गया.” “एक दिन बाद (लेह विरोध प्रदर्शन के बाद), भारत के गृह मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की जिसमें सोनम वांगचुक का नाम लिया गया और उन्हें दोषी ठहराया गया… मुझे सीबीआई जांच के बारे में एक नोटिस मिला था जिसमें कहा गया था कि आपके संगठन को विदेशी धन प्राप्त हुआ, जबकि उसके पास एफसीआरए नहीं था. हमें एफसीआरए नहीं मिला क्योंकि हम विदेश से धन नहीं चाहते. संयुक्त राष्ट्र की टीम हमारी पैसिव सोलर हीटेड बिल्डिंग को अफगानिस्तान ले जाना चाहती थी, और इसके लिए उन्होंने हमें शुल्क दिया. हमें अपने कृत्रिम ग्लेशियरों के बारे में जानकारी देने के लिए स्विट्जरलैंड और इटली के संगठनों से भी कर सहित शुल्क मिला… हमें आयकर विभाग के समन मिल रहे हैं.”