लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने हिंसा के पीछे साजिश का आरोप लगाया. उनका दावा है कि लद्दाख में शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ने के लिए साजिश के तहत हिंसा की गई.

लद्दाख के लेह जिले में हिंसा के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया है. हिंसक घटनाओं में 4 लोगों की मौत और 22 पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 45 लोगों के घायल होने के बाद सवाल ये उठ रहा है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि भीड़ इतनी आक्रामक हो गई? सोनम वांगचुक जो वजह बता रहे हैं, क्या वाकई वो इतनी बड़ी वजह थी? क्या युवाओं को ढाल की तरह इस्तेमाल किया गया था? लद्दाख में हुई झड़पों के लिए सरकार ने एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है. सरकारी सूत्रों का दावा है कि लद्दाख की स्थिति अपने आप नहीं बिगड़ी, बल्कि उसे जानबूझकर बिगाड़ा गया था.
‘सोनम वांगचुक ने भीड़ को उकसाया’
लद्दाख में हुई झड़पों के लिए सरकार ने एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है. गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कई नेताओं द्वारा भूख हड़ताल खत्म करने का आग्रह करने के बावजूद, सोनम वांगचुक ने अनशन जारी रखा और अरब स्प्रिंग स्टाइल में विरोध प्रदर्शन के उत्तेजक बयान दिए. नेपाल में Gen Z के विरोध प्रदर्शनों का हवाला देकर लोगों को गुमराह किया. मंत्रालय ने बयान में कहा कि सोनम वांगचुक के भड़काऊ भाषणों के बाद भीड़ ने अनशन स्थल से निकलकर एक राजनीतिक दल (बीजेपी) के कार्यालय और सीईसी लेह के सरकारी कार्यालय पर भी हमला किया… साफ है कि भीड़ को सोनम वांगचुक ने अपने भड़काऊ बयानों से उकसाया था.
साजिश के तहत हिंसा हुई: एलजी
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने लेह जिले में कर्फ्यू का ऐलान करते हुए हिंसा के पीछे साजिश का आरोप लगाया. उनका दावा है कि लद्दाख में शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा की साजिश रची गई थी. उन्होंने लोगों से बहकावे में न आने और शांति व सद्भाव बनाए रखने की अपील की. उपराज्यपाल के इस आरोप को सरकारी सूत्र आगे बढ़ाते हुए दावा करते हैं कि लद्दाख की स्थिति को जानबूझकर बिगाड़ा गया था.
केंद्र वार्ता को तैयार, फिर क्यों हुई हिंसा?
सरकारी सूत्र कहते हैं कि केंद्र ने ABL और KDA द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक के लिए 6 अक्टूबर की तारीख पहले ही तय कर दी थी. केंद्र ने ABL द्वारा प्रस्तावित उच्चाधिकार प्राप्त समिति के नए सदस्यों पर भी सहमति जताई थी. बैठक को तय तारीख से पहले आयोजित करने का अनुरोध मिलने पर 25-26 सितंबर को कुछ बैठकों के आयोजन पर विचार किया जा रहा था. लेकिन खुले मन से बातचीत की तैयारी के बावजूद हिंसा भड़काई गई, क्यों?
कांग्रेस भी सवालों में, युवाओं को बनाया मोहरा?
इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस नेताओं की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. सरकारी सूत्रों का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने कई ऐसे बयान दिए, जो लगभग निर्देश जैसे लग रहे थे. सरकार पूरे घटनाक्रम में राजनीति और निजी स्वार्थ की साजिश देख रही है. इसका युवाओं को दोष नहीं दिया जा सकता. उन्हें गुमराह किया गया, राजनीतिक और निजी स्वार्थ के लिए साजिश में फंसाया जा रहा है.
4 मांगों को लेकर 35 दिन का अनशन

लद्दाख को पूर्ण राज्य के दर्जे और अन्य मांगें कोई नई नहीं हैं. इनके लिए लंबे समय से आंदोलन चल रहा है. चार सूत्री मांगों को लेकर 10 सितंबर से 35 दिन का अनशन शुरू किया गया था. इन मांगों में लद्दाख को राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची का विस्तार, लेह व कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीट और नौकरियों में आरक्षण की मांग शामिल है. भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की हालत मंगलवार शाम बिगड़ गई. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसके बाद लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) की युवा शाखा ने विरोध प्रदर्शन और बंद का आह्वान कर दिया.
सोनम वांगचुक ने बताई हिंसा की वजह
वांगचुक ने हिंसा के बाद अपना अनशन खत्म करके ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रदर्शनकारियों में से दो, 72 वर्षीय एक पुरुष और 62 वर्षीय एक महिला को मंगलवार को अस्पताल ले जाया गया था. संभवतः हिंसक विरोध का यही तात्कालिक कारण था. लेकिन क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक ने हिंसक विरोध के लिए दो अनशनकारियों के अस्पताल में भर्ती होने की जो वजह बताई, क्या वो इतनी बड़ी थी कि उसके लिए इतने बड़े पैमाने पर हिंसा, आगजनी, पथराव किया जाए जिसमें 4 लोगों की मौत और 45 घायल हो जाएं. बीजेपी दफ्तर और हिल काउंसिल का मुख्यालय फूंक दिया जाए?