Navratri Navami 2025: नवरात्रि में नौवें दिन यानी महानवमी का विशेष महत्व है. इस दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री और महिषासुरमर्दिनी स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. 2025 में नवमी तिथि 1 अक्टूबर को है. जानें इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, जिससे घर में आए सुख और समृद्धि.

Navratri Navami 2025: शारदीय नवरात्रि के नौवें दिन यानी महानवमी पर देवी दुर्गा के विशेष स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सिद्धि, यश, बल और धन प्रदान करती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. इसके अलावा इस दिन पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति भी मिलती है. आइए जानें ज्योतिषाचार्य डॉ एन के बेरा से कि इस बार नवरात्रि की नवमी तिथि का महत्व और शुभ मुहूर्त क्या है
नवरात्रि पर नवमी तिथि का शुभ मुहूर्त
इस साल नवरात्रि 9 के बजाय 10 दिनों की है, जिससे तिथि को लेकर कुछ कन्फ्यूजन हुआ. पंचांग के अनुसार 30 सितंबर की शाम 06:06 बजे से नवमी तिथि शुरू होगी और यह अगले दिन यानी 1 अक्टूबर की शाम तक चलेगी. उदय तिथि को ध्यान में रखते हुए, 1 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि मान्य होगी.
महानवमी का महत्व
महानवमी के दिन देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप के साथ-साथ महिषासुरमर्दिनी रूप की भी पूजा की जाती है. महिषासुरमर्दिनी का अर्थ है – ‘महिषासुर का संहार करने वाली’. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. इस दिन हवन, पूजन और कन्या पूजन का विशेष महत्व माना जाता है.
मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि
दिन की शुरुआत सवेरे जल्दी उठकर स्नान से करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें. मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद पुष्प अर्पित करें, रोली-कुमकुम से सिंदूर लगाएं और मिष्ठान व पांच प्रकार के फल भोग में चढ़ाएं. इस दिन देवी मां का अधिक से अधिक ध्यान करें और उनकी आरती जरूर करें. धार्मिक मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा विशेष प्रिय हैं.
मान्यता है कि इस दिन की पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है. इसलिए, नवरात्रि के नौवें दिन, यानी महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है.