लालू और नीतीश को एक साथ चित करने का प्लान, जानें प्रशांत किशोर की लिस्ट में है ऐसा कौन

Jan Suraj Candidate list: प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने गुरुवार को 51 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी. इस लिस्ट में बिहार के पूर्व सीएम रहे कर्पूरी ठाकुर की पोती डॉ. जागृति ठाकुर भी शामिल हैं.

Jan Suraj Candidate list: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने गुरुवार को 51 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. पार्टी का दावा है कि उम्मीदवारों के चयन को लेकर गंभीर मंथन किया गया है. इस लिस्ट में एक नाम ऐसा भी है, जिसके जरिए चले प्लान से लालू-नीतीश को एक साथ चित किया जा सकता है. हालांकि इस दांव में बिहार की नई-नवेली पार्टी कितना सफल हो पाती है, यह कहना बहुत मुश्किल हैं. दरअसल इस लिस्ट में प्रशांत किशोर ने समस्तीपुर जिले की मोरवा विधानसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की पोती डॉक्टर जागृति ठाकुर को अपना उम्मीदवार बनाया है.

बिहार में अति पिछड़ों की राजनीति के सबसे बड़े प्रतीक हैं कर्पूरी ठाकुर

कर्पूरी ठाकुर बिहार में अति पिछड़ा राजनीति के सबसे बड़े प्रतीक हैं. बिहार में लालू प्रसाद यादव से लेकर के नीतीश कुमार और दूसरे नेता भी उनकी विरासत पर अपना हक जताते रहे हैं. डॉ जागृति ठाकुर के सहारे जनसुराज भी कर्पूरी ठाकुर के नाम को भुनाने की कोशिश कर रहा है.

कर्पूरी ठाकुर ने मुंगेरीलाल कमीशन की अनुशंसा लागू की थी. इस अनुशंसा के जरिए बिहार में अति पिछड़ों को 12%, पिछड़ों को 8%, महिलाओं और सामान्य जाति के गरीब लोगों को 3% आरक्षण मिला था.

इस आरक्षण के लागू होने से उन जातियों को हिस्सेदारी मिली जो काफी पीछे छूट गए थे. आरक्षण की इस नीति के कारण अगड़ी जाति के एक वर्ग ने कर्पूरी ठाकुर का खूब विरोध किया था. तब पिछड़ी जातियां उनके पक्ष में गोलबंद हुई. अभी भी इन जातियों का बड़ा समूह कर्पूरी ठाकुर की विरासत के प्रति सहानुभूति रखता है.

मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को पिछले साल दिया भारत रत्न

इसलिए भाजपा ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर इस वोट बैंक को साधने की कोशिश की. कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर को जदयू ने राज्यसभा भेजा और केंद्रीय मंत्री बनाया. अब प्रशांत किशोर ने भी उस विरासत पर डॉ जागृति ठाकुर के जरिए दावेदारी की है. तेजस्वी यादव के भी कर्पूरी ठाकुर की सीट फुलपरास से चुनाव लड़ने की चर्चा है. ताकि इसके जरिए अति पिछड़ों को संदेश दिया जा सके.

बिहार में अति पिछड़े समूह का वोट सबसे अधिक

क्योंकि अति पिछड़ा आबादी सबसे अधिक है. इसलिए इस आबादी को अपने पाले में करने में सभी दल जुटे हैं. बिहार में अति पिछड़ा वर्ग की आबादी 36% फीसदी है इसमें 112 जातियां शामिल हैं. यह वर्ग पारंपरिक रूप से नीतीश कुमार और एनडीए का वोटर रहा है.

CSDS का सर्वे बताता है कि 2005 अति पिछड़ी जातियों का 57 % और 2010 के चुनाव में 63 फीसदी वोट NDA गठबंधन को मिला था. 2010 में NDA ने 243 में से 206 सीटें जीती थी.

पिछले विधानसभा चुनाव में यादव, कोइरी, कुर्मी के अलावा पिछड़ी जातियों और अन्य पिछड़ी जातियों के समूह ने एनडीए को 58 फीसदी और महागठबंधन को 18 फीसदी वोट दिए थे. यह आबादी जिधर जाएगी, उसका पलड़ा भारी होगा. तभी प्रशांत किशोर ने 34 फीसदी टिकट अति पिछड़ों को दिया है.